Sheesh Mahal Priyanshi Jain PDF Hindi Book | शिश महल प्रियांशी जैन बुक पीडीएफ

अंधकार अपना डेरा जमा चुका था. रात अपनी मंथर गति से बीती जा रही थी. चारो और सन्नाटा पसरा हुआ था. हां कभी कभी सियारों के रोने और कुत्तों के भोकने की आवाज़ों से वा

Oct 30, 2024 - 18:23
Jun 24, 2025 - 12:29
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Sheesh Mahal Priyanshi Jain PDF Hindi Book | शिश महल प्रियांशी जैन बुक पीडीएफ
अंधकार अपना डेरा जमा चुका था. रात अपनी मंथर गति से बीती जा रही थी. चारो और सन्नाटा पसरा हुआ था. हां कभी कभी सियारों के रोने और कुत्तों के भोकने की आवाज़ों से वातावरण में बिसरा सन्नाटा क्षण भर के लिए भंग हुआ जाता था. इस वक़्त रात के १० बजे थे. किशनगढ़ के निवासी अपने अपने घरों में कुछ तो चादर ताने सो चुके थे कुछ सोने का प्रयत्न कर रहे थे. उर्मिला अपने घर के आँगन की चारपाई पर अपने पति गोरप्पा के साथ लेटी हुई थी. उसकी आँखों से नींद गायब थी. वह एक और करवट लिए हुए थी. बुक सोर्स – https://ia600501.us.archive.org/12/items/priyanshi-jain_20230926_1537/%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%B6%20%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B2%20Priyanshi%20Jain.pdf रेटिंग – 18+