कुरबानी प्रियांशी जैन बुक पीडीएफ | Qurbani Priyanshi Jain PDF Hindi Book

दूर-दूर तक जहाँ तक नज़र जाए, बस रेत ही रेत थी। गर्मी का समय था, और लू के थपेड़े इस रेगिस्तान की रेत को इधर-उधर उड़ा रहे थे। इतनी गर्मी में, इस जगह पर रहना मुमकि

Oct 31, 2024 - 02:21
Jun 24, 2025 - 12:29
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कुरबानी प्रियांशी जैन बुक पीडीएफ | Qurbani Priyanshi Jain PDF Hindi Book
दूर-दूर तक जहाँ तक नज़र जाए, बस रेत ही रेत थी। गर्मी का समय था, और लू के थपेड़े इस रेगिस्तान की रेत को इधर-उधर उड़ा रहे थे। इतनी गर्मी में, इस जगह पर रहना मुमकिन नहीं था। सूरज की किरणें किसी को भी दो पल में झुलसा सकती थीं। ऊपर से मुँह खोलो तो अंदर सिर्फ रेत ही रेत जाएगी। देखा जाए तो ऐसी जगह से किसी का कोई वास्ता नहीं होना चाहिए, और ऐसी जगह सिर्फ़ सुनसान ही रहनी चाहिए. Book source - https://ia803400.us.archive.org/19/items/priyanshi-jain_20230926_1606/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80%20Priyanshi%20Jain.pdf रेटिंग - 18+