एक अधूरी सुहागरात

कल्याणी के लिए समय जैसे थम गया था। वह कमरे में थी, पर जैसे खुद में नहीं थी। दीवार की एक ओर लगे शीशे में उसे खुद की परछाई भी अपरिचित लग रही थी। बालों में अब भी व

Jun 12, 2025 - 18:14
Jun 24, 2025 - 12:44
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एक अधूरी सुहागरात
कल्याणी के लिए समय जैसे थम गया था। वह कमरे में थी, पर जैसे खुद में नहीं थी। दीवार की एक ओर लगे शीशे में उसे खुद की परछाई भी अपरिचित लग रही थी। बालों में अब भी वो ही गुलाब की सूखी पंखुड़ियां थीं, जो शादी की रात प्रियांश ने हल्के से उस के बालों में अटकाए थे। तब हंसी रुक नहीं रही थी, और अब आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। #hindi #story #sad #love #couple