Jaadui Ghada

बहुत समय पहले, भारत में सुभा दत्त नामक एक लकड़हारा अपने परिवार के साथ रहते थे, जो सभी एक साथ बहुत खुश थे। पिता हर दिन अपने घर के पास जंगल में लकड़ी की आपूर्ति प

Jan 9, 2023 - 04:06
Dec 21, 2025 - 23:35
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Jaadui Ghada

बहुत समय पहले, जब तकनीक का नामो-निशान नहीं था और जीवन बहुत सरल था, भारत के एक छोटे से गाँव में सुभा दत्त नामक एक लकड़हारा अपने परिवार के साथ एक सुखद और खुशहाल जीवन बिता रहा था। सुभा का परिवार छोटा था, लेकिन उनके दिल बहुत बड़े थे। उनकी पत्नी, दो बच्चे और एक प्यारा सा कुत्ता, सभी मिलकर एक-दूसरे का सहारा बनते थे।

सुभा दत्त का दिन सुबह होते ही शुरू हो जाता था। सूरज की पहली किरणों के साथ ही वह अपने घर से निकलकर जंगल की ओर चल पड़ता। जंगल में वह लकड़ी काटने में व्यस्त हो जाता, लेकिन यह काम सिर्फ उसके लिए नहीं था—यह उसके परिवार के लिए भी था। वह हमेशा सोचता कि कैसे वह अपने परिवार को खुश रख सके, और यही उसकी प्रेरणा थी।

लकड़ी काटने के दौरान, सुभा अक्सर गुनगुनाते हुए गीत गाता। उसकी आवाज़ में एक खास मिठास थी, जो सुनने वालों के दिलों को छू जाती थी। जंगल में उसके दोस्त भी थे—चिड़िया, गिलहरी और कभी-कभी एक जंगली हिरण, जो उसके पास आकर उसकी लकड़ी काटने की प्रक्रिया देखता। यह सब देखकर सुभा को लगता कि प्रकृति भी उसकी खुशी में शामिल है।

जब वह लकड़ी लेकर घर लौटता, तो उसकी पत्नी उसका स्वागत करती। उनके बच्चों की आँखों में खुशी की चमक होती जब वे अपने पिता को लौटते हुए देखते। सुभा दत्त का परिवार एक साथ बैठकर खाना खाता, हंसता-खिलखिलाता, और कभी-कभी तो रात में चाँदनी में बैठकर कहानियाँ सुनाया करते।

एक दिन, सुभा ने सोचा कि क्यों न अपने बच्चों को जंगल की सुंदरता का अनुभव कराया जाए? उसने उन्हें अपने साथ जंगल ले जाने का निर्णय किया। उस दिन परिवार ने मिलकर लकड़ी काटी, खेल खेले और जंगल की हरियाली में खो गए। बच्चों ने चिड़ियों की चहचहाहट सुनी, पत्तों की सरसराहट महसूस की, और एक-दूसरे के साथ हँसते-खिलखिलाते समय बिताया।

इस प्रकार, सुभा दत्त का जीवन केवल लकड़ी काटने तक सीमित नहीं था। उन्होंने अपने बच्चों को जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाए—प्रकृति का सम्मान करना, खुश रहना और एक-दूसरे का सहारा बनना। उनके छोटे-से परिवार में जो प्यार था, वह किसी भी चीज़ से बड़ा था।

सुभा दत्त की कहानी हमें याद दिलाती है कि खुश रहने के लिए बहुत सारे पैसे या भौतिक वस्तुएं आवश्यक नहीं हैं। कभी-कभी, एक साधारण जीवन, अपने परिवार के साथ बिताए गए पल, और प्रकृति की सुंदरता ही हमें सच्ची खुशी दे सकते हैं।

तो, अगली बार जब आप अपने परिवार के साथ समय बिताएँ, तो सुभा दत्त की याद करें। क्योंकि असली खुशी उन पलों में होती है, जो हम अपने प्रियजनों के साथ बिताते हैं।बहुत समय पहले, भारत में सुभा दत्त नामक एक लकड़हारा अपने परिवार के साथ रहते थे, जो सभी एक साथ बहुत खुश थे। पिता हर दिन अपने घर के पास जंगल में लकड़ी की आपूर्ति प्राप्त करने के लिए जाता था, जिसे वह अपने पड़ोसियों को बेचता था, जिससे वह काफ़ी कमाता था और अपनी पत्नी और बच्चों को वह सब देता था जिसकी उन्हें ज़रूरत थी।